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ग़म-ए-हुसैन में डूबा मखदूमपुर, निकला 40वां मुहर्रम जुलूस" : "कौशाम्बी में अकीदत के साथ निकला चहेल्लुम का जुलूस"

"कौशाम्बी में अकीदत के साथ निकला चहेल्लुम का जुलूस"

"ग़म-ए-हुसैन में डूबा मखदूमपुर, निकला 40वां मुहर्रम जुलूस"

कौशाम्बी।

थाना पिपरी क्षेत्र के मखदूमपुर गांव में बड़ी अकीदत और अदबो-एहतराम के साथ चहेल्लुम व 40वां मोहर्रम का जुलूस निकाला गया। अंजुमन मखदुमिया की अगुवाई में निकले इस जुलूस में अकीदतमंदों ने गम-ए-हुसैन में शिरकत कर मातम किया और नौहा-ख्वानी की।

क्यों मनाया जाता है मोहर्रम?

करीब 1400 साल पहले मुहर्रम की 10वीं तारीख को पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन अपने 71 साथियों संग कर्बला के मैदान में शहीद हो गए थे। उसी ग़म में आज भी इस दिन को याद कर मातम मनाया जाता है। शिया समुदाय के लोग काले कपड़े पहनते हैं, मजलिस पढ़ते हैं और ताजिए निकालकर इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं।

कहा जाता है कि यजीद ने इस्लाम और इंसानियत के खिलाफ हर बुरा काम किया, जुल्म ढाया, लेकिन इमाम हुसैन ने उस ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद की और सही रास्ता दिखाया। यही वजह है कि आज भी इमाम हुसैन जिंदा हैं और यजीद का नाम मिट गया।

अज़ीज़ुल्लाह,अफताब अहमद, (नौहाख़ान) सोनू , सैबा सिद्दीकी, इब्राहिम अहमद, आदि गांव के सैकड़ा लोगो के अगुवाही में जुलुस मनाया गया l

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