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अमरीबाई जन सुनवाई में कह रही है- कलेक्टर बिल्डिंग में ताला लगा दूंगी : अधिकारी कब तक, कितनी बार धैर्य रखें, किसी बुजुर्ग महिला को यह बोलने का अधिकार किसने दिया । क्या नहीं है- चिंतन का विषय

जगदीश राठौर

रतलाम:- बीते मंगलवार को रतलाम में जनसुनवाई के दौरान आधे अधूरे वीडियो के आधार पर सोची समझी रणनीति के तहत एक राजपत्रित अधिकारी की छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया वह स्वच्छ, निर्भीक, निष्पक्ष एवं सकारात्मक पत्रकारिता में दशकों काम कर रहे मीडिया के लिए चिंतन का विषय बन गया है । भेरूलाल पिता पन्नालाल भोई निवासी रत्नेश्वर रोड रतलाम की पारिवारिक सदस्य अमरीबाई का मामला दिनांक 9 नवंबर 2012 का बताया जा रहा है ।(देखिए रसीद क्रमांक 4412) रुपए 20 हजार ग्राम कालू खेड़ी में सर्वे क्रमांक 229 स्थित पंचायत के तालाब को विधिवत रूप से मत्स्य समिति को लीज पर देना था लेकिन अमरी बाई ने सिंघाड़े की फसल की बुवाई कर दी। रतलाम के तहसीलदार ने अमरीबाई पर 20 हजार रूपए का जुर्माना कर दिया। यह महिला उज्जैन कमिश्नर कार्यालय पहुंची जहां मामले में इसके खिलाफ फैसला आ गया । यह बुजुर्ग महिला प्रायः जन सुनवाई में जाकर चिल्ला चोट करती रही जो वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है इस वीडियो में यह बुजुर्ग महिला नायब तहसीलदार रतलाम आशीष उपाध्याय से भी दुर्व्यवहार कर चुकी हैं। एक मिनट 55 सेकंड के वीडियो में अमरी बाई नायब तहसीलदार आशीष उपाध्याय को यह कहते सुनाई दे रही है कि यदि मेरी बात नहीं सुनी गई तो मैं कलेक्टर बिल्डिंग में ताला लगा दूंगी । गत मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान भी इसी बुजुर्ग महिला ने रतलाम एसडीएम के सामने भी काफी चिल्ला - चोट की । सवाल यह उठता है कि जनसुनवाई के दौरान हर किसी को अपनी बात कहने और अपना पक्ष रखने का अधिकार है लेकिन किसी बात की एक सीमा होती है, आखिर एक राजपत्रित अधिकारी कब तक, कितनी बार ओर कब तक बुजुर्ग महिला के नाम पर कितनी सीमा तक और कितनी बार सम्मान रखे यह हम सबके लिए चिंतन का विषय है । विश्वस्त सूत्र तो यहां तक कहते हैं कि उक्त बुजुर्ग महिला ने जिले के मुखिया अधिकारी को भी गालियां दी। यदि यही कुछ चलता रहा तो जन सुनवाई में हर कोई अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग करता रहेगा जो सकारात्मक सोच के प्रतिकूल होगा। उल्लेखनीय है कि लगभग 1 वर्ष पूर्व जावरा के निकट 84 बडाला में पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल द्वारा दोहरीकरण में सीमांकन व भूमि अधिग्रहण को लेकर आधे अधूरे वीडियो के आधार पर तत्कालीन जावरा एसडीएम छवि को धूमिल करने का कु - प्रयास किया जा चुका है । निश्चित रूप से इस बुजुर्ग महिला को इस मुकाम तक पहुंचाने में परोक्ष रूप से कतिपय लोगों का हाथ हो सकता है ? जिसकी शासन स्तर पर जांच होना चाहिए ।

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